विविधता, धर्म, संस्कृति और प्रगति: प्राचीन सभ्यता से आधुनिक लोकतांत्रिक भारत का वैश्विक उदय

भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्‍यताओं में से एक है, जो 4,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है और जिसने अनेक रीति-रिवाज़ों और परम्‍पराओं का संगम देखा है। यह देश की समृद्ध संस्‍कृति और विरासत का परिचायक है। आज़ादी के बाद 77 वर्षों में भारत ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर देश है और औद्योगीकरण में भी विश्व के चुने हुए देशों में भी इसकी गिनती की जाती है। यह उन देशों में से एक है, जो चाँद पर पहुँच चुके हैं और परमाणु शक्ति संपन्न हैं। भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की बुलन्दियों से दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक विस्तृत है। क्षेत्रफल में विश्‍व का सातवां बड़ा देश होने के कारण भारत एशिया महाद्वीप में अलग दिखायी देता है। इसकी सरहदें हिमालय पर्वत और समुद्रों ने बांधी है, जो इसे एक विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् हिमालय की पर्वत श्रृंखला से घिरा यह देश कर्क रेखा से आगे संकरा होता चला जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमाओं का निर्धारण करते हैं।

उत्‍तरी गोलार्ध में स्थित भारत की मुख्‍यभूमि 8 डिग्री 4 मिनट और 37 डिग्री 6 मिनट उत्‍तरी अक्षांश और 68 डिग्री 7 मिनट तथा 97 डिग्री 25 मिनट पूर्वी देशान्‍तर के बीच स्थित है । उत्‍तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लंबाई 3,214 कि.मी. और पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 2,933 कि.मी. है। इसकी ज़मीनी सीमाओं की लंबाई लगभग 15,200 कि.मी. और तटरेखा की कुल लम्‍बाई 7,516.6 कि.मी है। यह उत्‍तर में हिमालय पर्वत, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिंद महासागर से घिरा हुआ है।

भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित तीन प्रायद्वीपों में मध्यवर्ती और सबसे बड़ा प्रायद्वीप है। यह त्रिभुजाकार है। हिमालय पर्वत श्रृंखला को इस त्रिभुज का आधार और कन्याकुमारी को उसका शीर्षबिन्दु कहा जा सकता है। इसके उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है। ऊँचे-ऊँचे पर्वतों ने इसे उत्तर-पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान तथा उत्तर-पूर्व में म्यांमार से अलग कर दिया है। यह स्वतंत्र भौगोलिक इकाई है। प्राकृतिक दृष्टि से इसे तीन क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता है—हिमालय क्षेत्र, उत्तर का मैदान जिससे होकर सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ बहती हैं, दक्षिण का पठार, जिसे विंध्य पर्वतमाला उत्तर के मैदान से अलग करती है। भारत की विशाल जनसंख्या सात सौ पचास से अधिक [6] बोलियाँ बोलती है और संसार के सभी मुख्य धर्मों को मानने वाले यहाँ मिलते हैं। अंग्रेज़ी में भारत का नाम 'इंडिया' सिंधु के फ़ारसी रूपांतरण के आधार पर यूनानियों के द्वारा प्रचलित 'हंडस' नाम से पड़ा। सिन्धु का फ़ारसी में हिन्द, हन्द या हिन्दू हुआ। हिन्द का यूनानियों ने इन्दस किया जो बाद में 'इंडिया' हो गया। सिन्धु नदी को अंगेज़ी में आज भी 'इन्डस' ही कहते हैं। मूल रूप से इस देश का नाम प्रागैतिहासिक काल के राजा भरत के आधार पर भारतवर्ष है किन्तु अधिकारिक नाम 'भारत' ही है। अब इसका क्षेत्रफल संकुचित हो गया है और इस प्रायद्वीप के दो छोटे-छोटे क्षेत्रों पाकिस्तान तथा बांग्लादेश को इससे पृथक् करके शेष भू-भाग को भारत कहते हैं। 'हिन्दुस्थान' नाम सही तौर से केवल गंगा के उत्तरी मैदान के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है जहाँ हिन्दी बोली जाती है। इसे भारत अथवा इंडिया का पर्याय नहीं माना जा सकता।

सिन्धु घाटी

प्राचीन भारतीय साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि उसमें प्रतिबिम्बित जनजीवन में भौगोलिक चेतना का पूर्ण रूप से सन्निवेश है। इसका एकमात्र कारण यही हो सकता है कि हमारे पूर्वपुरुष अपने विशाल देश के प्रत्येक भाग से भली प्रकार परिचित थे तथा उनको भारत के बाहर के संसार का भी विस्तृत ज्ञान था। वाल्मीकि रामायण, महाभारत, पुराणादि ग्रंथों तथा कालिदास आदि महाकवियों की रचनाओं में प्राप्त भौगोलिक सामग्री की विपुलता इस बात की साक्षी है। वास्तव में प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति एकता के जिन सुदृढ़ सूत्रों में निबद्ध थी। उनमें से एक सूत्र भारतीयों की व्यापक भौगोलिक भावना भी थी जिसके द्वारा सारे भारत के विभिन्न स्थान - पर्वत, वन, नदी-नद, सरोवर, नगर और ग्राम उनके सांस्कृतिक एवं धार्मिक जीवन का अभिन्न अंग ही बन गए थे। वाल्मीकि, व्यास और कालिदास के लिए हिमालय से कन्याकुमारी और सिंधु से कामरूप तक भारत का कोई कोना अपरिचित या अजनबी नहीं था। प्रत्येक भू-भाग के निवासी, उनका रहन - सहन वहाँ के जीव -जंतु या वनस्पतियाँ और विशिष्ट दृश्यावली - ये सभी तथ्य इन महाकवियों और मनीषियों के लिए अपने ही और अपने घर के समान ही प्रिय एवं परिचित हैं। वाल्मीकि रामायण के किष्किंधाकाण्ड, महाभारत के वनपर्व और कालिदास के मेघदूत और रघुवंश के चतुर्थ एवं त्रयोदश सर्गों के अध्ययन से उपर्युक्त धारणा की पुष्टि होती है। इतने प्राचीन काल में जब भारत में यातायात की सुविधाएँ अपेक्षाकृत बहुत कम थीं। भारतीयों की स्वदेश विषयक भौगोलिक एकता की भावना को जगाए रखने में इन राष्ट्रीय एवं लोकप्रिय कविगणों ने जो महत्त्वपूर्ण योग दिया था उसका मूल्य आँकना भी हमारे लिए आज सम्भव नहीं है।

भारत की आधारभूत एकता उसकी विशिष्ट संस्कृति तथा सभ्यता पर आधारित है। यह इस बात से प्रकट है कि हिन्दू धर्म सारे देश में फैला हुआ है। संस्कृत को सब देवभाषा स्वीकार करते हैं। जिन सात नदियों को पवित्र माना जाता है उनमें सिंधु पंजाब में बहती है और कावेरी दक्षिण में, इसी प्रकार जिन सात पुरियों को पवित्र माना जाता है उनमें हरिद्वार उत्तर प्रदेश में स्थित है और कांची सुदूर दक्षिण में। भारत के सभी राजाओं की आकांक्षा रही है कि उनके राज्य का विस्तार आसेतु हिमालय हो। परन्तु इतने बड़े देश को जो वास्तव में एक उपमहाद्वीप है और क्षेत्रफल में पश्चिमी रूस को छोड़कर सारे यूरोप के बराबर है, एक राजनीतिक इकाई बनाये रखना अत्यन्त कठिन था। वास्तव में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश शासकों की स्थापना से पूर्व सारा देश बहुत थोड़े काल को छोड़कर, कभी एक साम्राज्य के अंतर्गत नहीं रहा। ब्रिटिश काल में सारे देश में एक समान शासन व्यवस्था करके तथा अंग्रेज़ों को सारे देश में प्रशासन और शिक्षा की समान भाषा बनाकर पूरे देश को एक राजनीतिक इकाई बना दिया गया। परन्तु यह एकता एक शताब्दी के अन्दर ही भंग हो गयी। 1947 ई. में जब भारत स्वाधीन हुआ, उसे विभाजित करके सिंधु, उत्तर पश्चिमी सीमाप्रान्त, पश्चिमी पंजाब (यह भाग अब पाकिस्तान कहलाता है), पूर्वी तथा उत्तरी बंगाल (यह भाग अब बांग्लादेश कहलाता है) उससे अलग कर दिया गया।

भारत: एक अद्वितीय देश की व्यापक गाथा

भारत, जिसे आधिकारिक रूप से भारतीय गणराज्य कहा जाता है, विश्व के सबसे प्राचीन और विविधतापूर्ण देशों में से एक है। इसकी सभ्यता का इतिहास 5000 साल से भी अधिक पुराना है, और यह भूमि कई महान संस्कृतियों, साम्राज्यों और विचारधाराओं का केंद्र रही है। भौगोलिक दृष्टिकोण से, यह देश हिमालय की ऊँचाइयों से लेकर हिंद महासागर की गहराइयों तक फैला हुआ है। विविधता भारत की पहचान है, चाहे वह सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई, या प्राकृतिक हो।

इतिहास: सभ्यता का उद्गम और विकास

भारत का इतिहास उतना ही प्राचीन और समृद्ध है जितनी उसकी सभ्यता। यहाँ की पहली बड़ी सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है, लगभग 3300 ईसा पूर्व से शुरू हुई। इस सभ्यता के प्रमुख शहर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो थे, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं। सिंधु घाटी सभ्यता ने एक उन्नत नगर व्यवस्था, जल निकासी प्रणाली और कृषि का विकास किया था।

लगभग 1500 ईसा पूर्व, आर्यों का आगमन हुआ, जो भारतीय उपमहाद्वीप में वेदों को लेकर आए और उन्होंने भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था की नींव रखी। इसके बाद विभिन्न महाजनपदों का उदय हुआ, जिनमें मगध, कोशल और अवंती प्रमुख थे। मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) भारत का पहला बड़ा साम्राज्य था, जिसका सबसे प्रसिद्ध शासक सम्राट अशोक था। अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना कर इसे भारत और कई अन्य देशों में फैलाया।

इसके बाद गुप्त साम्राज्य (320-550 ई.) का उदय हुआ, जिसे भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस काल में कला, विज्ञान, गणित, और साहित्य का जबरदस्त विकास हुआ। आर्यभट्ट, वराहमिहिर, और कालिदास जैसे महान विद्वान इसी काल के थे।

मध्यकालीन भारत में कई इस्लामी साम्राज्यों का उदय हुआ, जिनमें प्रमुख थे दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य । मुगल सम्राटों ने भारत को एकीकृत किया और यहाँ स्थापत्य, कला और संस्कृति का विकास किया। ताजमहल, लाल किला और फतेहपुर सीकरी जैसे प्रसिद्ध स्मारक मुगलों के योगदान का हिस्सा हैं।

ब्रिटिश उपनिवेश और स्वतंत्रता संग्राम

18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित करना शुरू किया। प्लासी (1757) और बक्सर (1764) की लड़ाइयों के बाद, कंपनी ने बंगाल और अन्य क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। 19वीं शताब्दी के मध्य तक, ब्रिटिश सरकार ने पूरे भारत को अपने अधीन कर लिया।

1857 में, भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाने वाला सिपाही विद्रोह हुआ, जिसे ब्रिटिशों ने कुचल दिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखी। इसके बाद, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और अन्य महान नेताओं ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। गांधी के नेतृत्व में अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। अंततः, 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बन गया।

भौगोलिक विविधता: पर्वत, नदियाँ और जलवायु

भारत का भूगोल इसे अन्य देशों से अलग करता है। इसके उत्तर में विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय स्थित है, जो इसे चीन और तिब्बत से अलग करता है। हिमालय न केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप के जलवायु को भी नियंत्रित करता है। हिमालय की ऊँचाइयों से निकलने वाली नदियाँ – जैसे गंगा, यमुना, सिंधु, और ब्रह्मपुत्र – भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं।

भारत के अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में थार का रेगिस्तान, दक्षिण का दक्कन का पठार, पूर्वी और पश्चिमी घाट, और सुंदरबन के मैंग्रोव वन शामिल हैं। इसके अलावा, भारत का समुद्री तट 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबा है, जिसमें कई सुंदर तट, जैसे गोवा, चेन्नई, और केरल स्थित हैं।

भारत की जलवायु भी अत्यधिक विविधतापूर्ण है। यहाँ चार मुख्य मौसम होते हैं: ग्रीष्म, शीत, मानसून और शरद। जबकि उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड और गर्मी होती है, दक्षिणी भारत में समशीतोष्ण और नम जलवायु पाई जाती है। मानसून का मौसम भारत की कृषि और जल प्रबंधन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

भारत की सांस्कृतिक विविधता: धर्म, भाषा और परंपराएँ

भारत की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी सांस्कृतिक विविधता है। यह विविधता भारत के विभिन्न धर्मों, भाषाओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

धर्म

भारत दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ विभिन्न धर्मों का उदय और पालन हुआ है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, और सिख धर्म का उदय भारत में ही हुआ। इसके साथ ही इस्लाम, ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, और पारसी धर्म भी यहाँ सदियों से पालन किए जाते रहे हैं। हर धर्म की अपनी अलग परंपराएँ, मान्यताएँ और त्यौहार हैं।

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में दीवाली, होली, दुर्गा पूजा, और रक्षाबंधन शामिल हैं। इस्लाम के प्रमुख त्योहारों में ईद और मुहर्रम प्रमुख हैं। सिख धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार बैसाखी है, और ईसाई धर्म के अनुयायी क्रिसमस और ईस्टर मनाते हैं।

भाषा

भारत में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं, जिनमें हिंदी और अंग्रेजी प्रमुख हैं। हिंदी भारत की राजभाषा है, और अंग्रेजी को व्यापक रूप से व्यापार, प्रशासन और शिक्षा में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, भारत में बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, उर्दू, कन्नड़, मलयालम, और पंजाबी जैसी भाषाएँ भी प्रमुखता से बोली जाती हैं।

भारत की प्रत्येक भाषा की अपनी साहित्यिक धरोहर और परंपराएँ हैं। भारतीय साहित्य विश्व के सबसे प्राचीन और समृद्ध साहित्यिक परंपराओं में से एक है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य भारतीय संस्कृति के मूलभूत आधार हैं।

परंपराएँ और रीति-रिवाज:

भारत में विवाह, उत्सव, भोजन और वस्त्रों की परंपराएँ अत्यधिक विविध हैं। प्रत्येक राज्य और क्षेत्र की अपनी विशिष्ट रीति-रिवाज और सांस्कृतिक प्रथाएँ हैं। भारत में शादी को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है, और शादी की परंपराएँ बेहद भव्य और विविधतापूर्ण होती हैं।

भारत का पारंपरिक पहनावा जैसे साड़ी, धोती, सलवार-कमीज़, और पगड़ी भारतीय संस्कृति की पहचान हैं। यहाँ के लोगों का पारंपरिक भोजन भी क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है। उत्तर भारत में रोटी, दाल, और सब्जी प्रमुख होते हैं, जबकि दक्षिण भारत में इडली, डोसा, और सांभर प्रमुख भोजन हैं।

आर्थिक विकास और प्रगति

स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने अपने आर्थिक क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है। प्रारंभिक दौर में भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित थी, लेकिन आज भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है जिसमें कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में विशेष रूप से बड़ी सफलता हासिल की है, और आज बैंगलोर को "भारत का सिलिकॉन वैली" कहा जाता है। इसके अलावा, भारत का फिल्म उद्योग, जिसे बॉलीवुड कहा जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है। भारतीय फिल्में और संगीत न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं।

कृषि भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आज भी कृषि पर निर्भर है। भारत चावल, गेहूं, गन्ना, चाय, और कपास के उत्पादन में दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। इसके अलावा, भारत दुग्ध उत्पादन में भी दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है।

भारत की राजनीतिक संरचना

भारत एक संघीय गणराज्य है, जहाँ 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है, जबकि केंद्र सरकार देश की समग्र प्रशासनिक और नीति निर्धारण की जिम्मेदार होती है।

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। संविधान के अनुसार, भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है, जहाँ नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। भारत की राजनीति में लोकसभा और राज्यसभा दो मुख्य सदन हैं, जहाँ देश की महत्वपूर्ण नीतियाँ और कानून बनाए जाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध और भविष्य की चुनौतियाँ

भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO), और ब्रिक्स जैसे संगठनों का सदस्य है। इसके अलावा, भारत अपनी विदेश नीति में शांति और सहयोग का समर्थन करता है।

हालाँकि, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरण प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ आज भी देश के विकास में रुकावटें पैदा कर रही हैं। फिर भी, भारत की मजबूत राजनीतिक व्यवस्था, आर्थिक प्रगति, और सांस्कृतिक समृद्धि इसे एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर कर रही है।

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